महादशा क्या है | अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा क्या होती है

महादशा क्या है

जब हम अपनी कुंडली को लेकर अपने पंडित जी के पास जाते हैं दिखाने के लिए तो हमें पता चलता है कि हमारी कुंडली में किसी ग्रह की महादशा चल रही है, और इस महादशा से हमें बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे या बहुत बुरे परिणाम मिलेंगे आखिर यह महादशा क्या होती है। आज हम इस लेख के माध्यम के द्वारा जानेंगे कि महादशा क्या है, अंतर दशा क्या होती है, प्रत्यंतर दशा क्या होती है, इनका क्या प्रभाव होता है आदि।

हमारे भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कोई ग्रह हमारी कुंडली में मजबूत स्थिति में लंबे समय के लिए विराजमान होता है और कुंडली में स्थान के अनुसार शुभ या अशुभ फल देता है। उस दशा को महादशा कहते हैं।

महादशा के प्रकार

वैसे तो महादशा कई प्रकार की होती है। पर जो प्रसिद्ध महादशा है जिनका ज्यादा महत्व है वह तीन तरह की है:

  • विशोतरी महादशा
  • अष्टोत्तरी महादशा
  • योगिनी महादशा
महादशा क्या है।
महादशा क्या है

हमारे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विशोतरी महादशा का समय काल 120 वर्ष होता है और अष्टोत्तरी महादशा का समय काल 108 वर्ष होता है और योगिनी महादशा का समय काल 36 वर्ष होता है। अब तीनों महादशा में से विशोतरी महादशा सबसे ज्यादा प्रचलित है, मतलब एक व्यक्ति की कुंडली में ज्यादातर विशोतरी महादशा को ही देखा जाता है।

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अब विशोतरी महादशा में जो 120 वर्ष दिए गए हैं यह एक व्यक्ति की आयु को देखकर तय किया गया है। विशोत्तरी महादशा में नवग्रहों की महादशा के समय काल को इस प्रकार से तय किया गया हैः

सूर्य- 6 वर्ष,
चन्द्र-10 वर्ष,
मंगल- 7 वर्ष,
राहू- 18 वर्ष,
गुरु- 16 वर्ष,
शनि- 19 वर्ष,
बुध- 17वर्ष,
केतु- 7 वर्ष,
शुक्र- 20 वर्ष।

मतलब एक व्यक्ति की कुंडली में अगर नवग्रहों में से सूर्य ग्रह की महादशा चल रही है तो वह कम से कम 6 साल के लिए होगी, अगर मंगल की महादशा चल रही है तो वह 7 वर्ष तक होगी, अगर राहु की महादशा चल रही है तो 18 वर्ष तक होगी, गुरु की महादशा चल रही है तो 16 वर्ष तक होगी, शनि की महादशा चल रही है तो 19 वर्ष तक होगी। ऐसे ही सभी ग्रहों की महादशा का वर्षकाल अलग अलग होता है।

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अगर बुध की महादशा चल रही है तो यह 17 वर्ष तक होगी, अगर केतु की महादशा चल रही है तो 7 वर्ष तक होगी, और अगर शुक्र की महादशा चल रही है तो 20 वर्ष तक होगी। हमने यह तो जान लिया की महादशा क्या है आइए अब हम अंतर दशा के बारे में जान लेते हैं कि अंतर दशा क्या है

अंतर दशा क्या है

जिस प्रकार एक व्यक्ति की कुंडली में महादशा का समय काल लंबे समय के लिए होता है, ज्यादा सालों के लिए होता है, उसी प्रकार अंतर दशा में नवग्रहों के समय काल थोड़े समय के लिए होता है, मतलब महीनों में भी हो सकता है और सालों में भी।

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उदाहरण के तौर पर अगर आपकी कुंडली में शनि की महादशा चल रही है जोकि 19 वर्ष की होती है और और शनि की ही अंतर दशा चल रही है तो शनि की अंतर दशा का समय काल 3 वर्ष का होगा।

ऊपर हमने पढ़ा महादशा क्या है और अंतर दशा क्या है आइए अब हम जान लेते हैं की प्रत्यंतर दशा क्या होती है।

प्रत्यंतर दशा क्या होती है

जिस प्रकार एक महादशा में नवग्रहों की अंतर दशा होती है उसी प्रकार अंतर दशा में प्रत्यंतर दशा होती है। मतलब प्रत्यंतर दशा अंतर दशा का ही एक छोटा भाग है प्रत्यंतर दशा का समय काल थोड़े समय के लिए ही होता है मतलब महीनों में हो सकता है यह निर्भर करता है कि एक व्यक्ति की कुंडली में किस ग्रह की महादशा चल रही है।

आसान शब्दों में हम समझे तो एक व्यक्ति की कुंडली में जब हम ग्रहों की दशा को देखते हैं तो सबसे पहले व्यक्ति की कुंडली में महादशा को देखा जाता है किस ग्रह की महादशा चल रही है और उसके बाद अंतर दशा को देखा जाता है कि किस ग्रह की अंतर दशा चल रही है और उसके बाद प्रत्यंतर दशा को देखा जाता है कि किस ग्रह की प्रत्यंतर दशा चल रही है।

इन तीनों दशाओं को देखने के बाद ही यह तय किया जाता है कि एक व्यक्ति की कुंडली में यह तीनों कैसा फल देंगे क्योंकि अकेले महादशा को देखकर यह तय नहीं किया जा सकता कि व्यक्ति की कुंडली में विराजमान ग्रह व्यक्ति को अच्छे फल देंगे या बुरे फल।

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उदाहरण के तोर पर आप महादशा को एक राजा के समान समझ सकते हैं और अंतर दशा को एक मंत्री के समान समझ सकते हैं और प्रत्यंतर दशा को एक सेनापति के समान समझ सकते हैं अगर राजा और मंत्री और सेनापति के संबंध अच्छे होंगे तो व्यक्ति को अच्छा फल देंगे अगर उनके संबंध अच्छे नहीं हैं।

तो यह व्यक्ति की जिंदगी में बुरे फल प्रदान करेंगे अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में है ग्रहों की दशा अच्छी नहीं होती है तो उसके लिए कुछ उपाय बताए जाते हैं जिनको करने के पश्चात ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है।

निष्कर्ष

मित्रों आज हमने इस लेख के माध्यम से जाना की महादशा क्या है, अंतर्दशा क्या है, प्रत्यंतर दशा क्या होती है, इनका हमारे जीवन में क्या महत्व है आदि, हमें पूरा विश्वास है कि आपको यह जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी आपसे निवेदन है कि जैसे इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

अगर आपका इस संबंध के प्रति कोई सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं हम आपकी सहायता जरूर करेंगे।

बेनती: अगर आपकी कुंडली में भी किसी भी ग्रह की महादशा चल रही है, जिससे आपको नकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं तो घबराएं नहीं, क्योंकि अच्छा बुरा समय हर एक की जिंदगी में आता जाता रहता है, अगर अच्छा समय नहीं टिकता तो बुरा समय भी ज्यादा समय नहीं टिकेगा, थोड़ा सब्र कीजिए और अच्छे समय का इंतजार कीजिए।

गीता में स्पष्ट शब्दों में लिखा है
निराश न होना,
कमजोर तेरा वक्त है
तू नहीं।

मेरी तक़दीर को बदल देंगे
मेरे बुलंद इरादे,
मेरी किस्मत नहीं मोहताज
मेरे हाथों की लकीरों की।

कागज अपनी किस्मत से उड़ता है,
लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से उड़ती है,
किस्मत साथ दे या ना दे,
काबिलियत जरूर साथ देती है,
इसलिए काबिल बनो, धन्यवाद !

 

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