Pong Dam Kahan Hai | महाराणा प्रताप सागर | Beautiful पोंग बांध |

Pong Dam Kahan Hai

(Where is Pong Dam)

निर्माण

Pong Dam Talwara के निर्माण का प्रस्ताव पहली बार साल 1926 में रखा गया था। Blue print ready होने के बाद सारी जरूरतों और स्रोतों की supply की निश्चितता के बाद साल 1961 में पुरजोर गति के साथ पोंग बांध (Pong Dam Talwara) के निर्माण का काम शुरू किया गया। हमने यह तो जान लिया की पोंग बांध (Pong Dam Kahan Hai)  कहाँ है। आइए अब इसके बारे में थोड़ा और जानते है।

उद्घाटन

13 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद साल 1974 में यह बांध बनकर तैयार हुआ। Pong Dam Talwara का उद्घाटन उसी वर्ष यानी साल 1974 में किया गया। अपनी स्थापना के वक्त पोंग बांध (Pong dam) को देश के सबसे ऊंचे Dam होने का गौरव प्राप्त है और इसीलिए यह एक सूंदर और प्रसिद्ध डैम है, दूर दूर से लोग यहाँ घूमने के लिए आते है।

Pong Dam की लंबाई और ऊंचाई

Pong Dam Kahan Hai
Pong Dam Kahan Hai

पोंग बांध तलवाड़ा आज भी समुद्र तल से 1430 feet की ऊंचाई पर स्थित यह देश का सबसे ऊंचा अर्थबिंध बांध है। इसकी बेजोड़ इंजीनियरिंग और बेहतरीन रखरखाव को देख कर आज भी कई लोगों को हैरानी होती है विस्तृत ब्यास नदी (Vyas river) को अपनी गोद में समेटे पोंग बांध (Pong dam Talwara) की ऊंचाई 436 फीट, गहराई: 97.84 मीटर (321.0 फीट) और लंबाई 6401 फीट है।

Pong Dam की क्षमता

इस Pong Dam की कुल क्षमता 3 करोड़ 55 लाख cubic meter है। जल के इतनी विशाल स्तोत्र की सहनशीलता के लिए इसके ऊपर उठी हुई दीवार की चौड़ाई 45 feet है। वहीं इसके मजबूत आधार पर यह चौड़ाई 2001 फीट हो जाती है। Pong Dam में जल की निकासी के लिए कुल 6 gate है। जिनकी डिस्चार्ज क्षमता 12375 cubic meter प्रति सेकंड है। Pong Dam निर्माण के दौरान नदी के प्रत्यावर्तन के लिए पांच कॉन्क्रीट लाइन सुरंगो का निर्माण किया गया था। जिसमें से 3 सुरंग, power house की 6 मशीनों को पानी उपलब्ध कराती है और 2 सिंचाई का पानी उपलब्ध कराती है।

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Pong Dam Talwara पर कैसे पहुंचे (How to reach Pong Dam)

(By Road) रोड़ द्वारा रास्ते से: Pong Dam नई दिल्ली (New Delhi) से 466 km, चंडीगढ़ से 170 km, अमृतसर से 110 km, धर्मशाला से 55 km दूर है। आप इस बांध तक पहुँचने के लिए दिल्ली आईएसबीटी से कांगड़ा के लिए HRTC वोल्वो बस  पकड़ सकते है और काँगड़ा पहुँच कर आप काँगड़ा के बस स्टैंड से बस पकड़ सकते है, या फिर आप टेक्सी स्टैंड से टैक्सी करके भी यहाँ तक पहुँच सकते है।

(By Train) ट्रैन के माध्यम से: इस पांग बांध के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन मुकेरियां में हैं, जो तलवाड़ा से 30 किमी (18.6 मील) और पठानकोट से , 32 किमी (19.9 मील) की दूरी पर हैं। पोंग डैम से (चक्की) 70 किमी की दूरी पर है और सबसे नजदीक नैरो गेज रेलवे स्टेशन नंदपुर भटौली रेलवे स्टेशन, बरियल हिमाचल रेलवे स्टेशन है। इसके इलावा, आप चाहें तो कार, टैक्सी, या सीधी बसें किराए पर लेकर आ सकते है।

(By Airplane) हवाईजहाज के द्वारा: पोंग डैम के सबसे नजदीक हवाई अड्डा  गग्गल हवाई अड्डा है। क्योंकि यह हवाई अड्डा है, पोंग-डैम से केवल 75.9 किमी की दूरी पर स्थित है  साथ में उड़ानों के माध्यम से दिल्ली से जुड़ा हुआ है। इसके इलावा अमृतसर और चंडीगढ़ में हवाई अड्डे है, जो पोंग-डैम से थोड़ा दूर है।

मुख्य शहरों से Pong Dam तक की दूरी

  1. तलवाड़ा से – 7 km
  2. मुकेरियां से – 37 km
  3. चिंतपूर्णी से – 18 km
  4. ज्वालामुखी से – 12 km
  5. कांगड़ा से – 50 km
  6. शिमला से – 233.2 km
  7. धर्मशाला से – 55 km
  8. अमृतसर से – 110 km
  9. चंडीगढ़ से – 272.9 km
(Pong Dam) पोंग बांध का उद्देश्य 

पोंग बांध का उद्देश्य सिंचाई और पनबिजली उत्पादन के लिए जल भंडारण है। पोंग बांध (Pong Dam) के जरिए बीबीएमबी (BBMB) हिमाचल प्रदेश पंजाब और राजस्थान में सिंचाई का पानी प्रदान करता है। इस बांध के निर्माण के बाद यहां के आसपास के आम लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया। इसके निर्माण के बाद Pong Dam में व्यास के जल को सही रूप में इस्तेमाल के साथ-साथ यहां के निवासियों की जीवन को भी एक नई दिशा दी।

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इसके साथ-साथ Kangra स्थित Pong Dam जलाशय महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है। आज यहां हर साल समूचे विश्व से पक्षियों की कई प्रवासी प्रजातियां होती है और इनके संरक्षण के लिए भी नई संभावनाएं उजागर हुई है। नई संभावनाएं उजागर हुई है। जिसके कारण महाराणा प्रताप सागर आज सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में प्रख्यात पक्षी अभारण्य, यानी बर्ड सेंचुरी में से एक है। बिजली और सिंचाई के अलावा बांध के निर्माण से और भी कई सुविधाएं नजर आते हैं।

बांध के आस-पास के गांव में मछली पालन एक नया व्यवसाय बन कर उभरा है। वर्ष 1974 में इसके उद्घाटन के समय शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह परियोजना इन इलाके के भविष्य को पूरी तरह बदल के रख देंगे। हिमाचल प्रदेश जहां भरपूर प्राकृतिक संसाधन होने के बावजूद भौगोलिक विशेषताएं और पर्यावरण परिस्थितियों के कारण सभी को विकास लगभग असंभव लगता था वही Pong Dam ने एक समृद्ध और खुशहाल राज्य की नींव रखी। सिंचाई के अलावा जल विदुग्य उत्पादन से भी आसपास के प्रदेश के आदिवासियों की जिंदगी में सुधार आया है।

बिजली उत्पादन:

बांध की रखरखाव और तकनीकी देखभाल के लिए बीबीएमबी (BBMB) के इंजीनियर और अधिकारियों की एक टीम कार्यरत है जो समय-समय पर बांध का मुआयना करते रहते हैं और ध्यान रखते हैं कि बिना किसी रूकावट के बांध लगातार काम करता रहे। बांध के बिजली घर में जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए पानी 3 सुरंग में से आता है।  यह सुरंग Power House के अंदर एक फ्रांसिस टरबाइन जनरेटर से जुड़े हुए है और इसी जनरेटर के जरिए पानी से बिजली बनती है।

Pong Dam में पानी को रोककर बिजली पैदा की जाती है।  इसमें भाप की जगह ऊंचाई पर इकट्ठा हुए पानी को बहुत वेग से नीचे टरबाइन पर गिराया जाता है। जिससे टरबाइन घूमने लगता है। जोकि अल्टरनेटर को चलाती है और अल्टरनेटर विद्युत उत्पन्न करता है। Pong Dam द्वारा बनाई गई बिजली ने पंजाब हरियाणा और राजस्थान राज्य के विभिन्न शहरों में उद्योगों की प्रगति की रफ़्तार को दुगना किया।

Pong Dam Kahan hai

बांध के छह विद्युत से अंतर् है हर  सयंत्रक की क्षमता 66 MW है और बांध की कुल जल विद्युत उत्पन्न करने की क्षमता 396 MW है। बिजली उत्पादन एवं वितरण का नियंत्रण बांध के मुख्य control room से किया जाता है। बांध और जलाशय के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए हर साल यहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्याटक आते हैं पर्याटकों की आवाजाही के चलते कांगड़ा और उसके आसपास के निवासियों को रोजगार की अपार संभावनाएं मिली है।

अब वह Hotel, Resort, गाइड या पर्यटकों के लिए एडवेंचर पोस्ट के जरिए अपनी और अपने गांव की आर्थिक स्थिति को बेहतर बना रहे हैं। बीबीएमबी (BBMB) की अन्य अनूठी परियोजना की तरह Pong Dam भी इस संस्था को आज उत्तर भारत में विकास या प्रगृति  के संचालक होने का महत्वपूर्ण दर्जा दिलाता है। Pong Dam आज अपनी स्थापना के इतने वर्षो के बाद भी व्यास नदी पर अपना सीना गर्व से ताने खड़ा है और अपने देश के लोगों की सेवा में प्रयत्न करता रहा है। क्योंकि Pong Dam सिर्फ एक बांध नहीं बल्कि यहाँ के लोगों के जीवन का एक अटूट हिस्सा है।

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पोंग बांध कहाँ स्थित है?

Pong Dam पंजाब में जिला होशियारपुर में शहर तलवाड़ा से 7 किलोमीटर दूर हिमाचल जिला काँगड़ा में स्थित है।

पोंग बाँध के निर्माण के कारण कौन सी जगह जलमग्न हो गई?

Pong Dam जलमग्न मंदिर
जनवरी के महीने में मंदिर, पूरी तरह से पानी से बाहर। इन मंदिरों को बाथू दी लड़ी ‘कहा जाता है, इसमें लड़ी का अर्थ है मंदिरों की एक श्रृंखला। पोंग डैम एक ऐसी जगह है जहां पर मंदिरों का एक समूह पानी में डूबा हुआ है। ग्रीष्मकाल आते ही वे बांध में गायब हो जाते हैं, पीछे एक भी निशान नहीं छोड़ते।

वे मौजूद हैं या नहीं, यह कोई नहीं जानता। सर्दियों में, जब प्रवासी पक्षी आसपास होते हैं और जल स्तर घट रहा होता है, तो इन मंदिरों को धीरे-धीरे पानी के स्तर में हर मीटर की गिरावट के साथ पानी से बाहर निकलते हुए देखा जाता है। जनवरी-फरवरी के महीने के दौरान, ये मंदिर पूरी तरह से पानी से बाहर आ जाते हैं और कोई भी इन मंदिरों पर प्रवासी पक्षियों को उड़ते हुए देख सकता है।

हिमाचल प्रदेश में कितने बांध हैं?

हिमाचल प्रदेश 16 बांध है, जिनके नाम इस प्रकार है:
(1) Baira Siul Dam (Chaurah Chamba), (2) Bassi Dam (Jogindarnagar Mandi), (3) Bhakra Dam (Bilaspur), (4) Chamera I Dam (Bhattiyat Chamba), (5) Chamera II Dam (Chamba), (6) Chamera III Dam (Bhamour Chamba), (7) Karchham-Wangtoo Dam (Kinnaur), Kol Dam (Bilaspur), (8) Kol Dam (Bilaspur), (9) Largi Dam (Mandi), (10) Malana I Dam (Kullu), (11) Nathpa Jhakri (Sjvnl) Dam (Nichar Kinnaur), (12) Pandoh Dam (Mandi), (13) Parbati – III Dam (Behali Kullu), (14) Parbati II Dam (Kullu), (15) Pong Dam (Dera Gopipur Kangra), (16) Sawra- Kuddu Dam (Jubbal Shi).

ब्यास नदी पर कौन सा बांध बनाया गया है?

Pong Dam, (पौंग बांध)। हिमाचल प्रदेश में तलवाड़ा के ऊपर ब्यास नदी के ऊपर बना, पोंग बांध भारत के सबसे खूबसूरत तटबंधों में से एक है। सिंचाई के पानी के साथ आसपास के क्षेत्रों की आपूर्ति करने के अलावा, इस बांध में तेजस्वी दूत हैं जो दशकों से पर्यटकों की रुचि पर कब्जा कर चुके हैं।

ब्यास नदी की लंबाई कितनी है?

ब्यास नदी की लंबाई 470 कि.मी. है।

ब्यास नदी का उद्गम स्थल क्या है?

ब्यास कुंड, ब्यास नदी का उद्गम है। वहाँ रहने के लिए आपको एक अच्छे मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। यह स्थान कारों द्वारा स्वीकार्य नहीं है, इसलिए आपको चलना होगा। पहाड़ों की चोटी पर बहुत ही सुंदर जगह और मनाली के आसपास सबसे खूबसूरत ट्रेक। आप रास्ते से घाटी का अंतहीन दृश्य देख सकते हैं। यदि आप ठीक चलने में सक्षम हैं। तो आपको वहाँ जाना चाहिए।

किस बांध को महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है?

Pong Dam, (पौंग बांध) को महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है।

ब्यास नदी का पुराना नाम क्या है?

ब्यास नदी का पुराना नाम “विपाशा” (Vipasha) है।

ब्यास नदी किस लिए प्रसिद्ध है?

Ans. वह ब्यास नदी जिसे संस्कृत में विपाशा के रूप में भी जाना जाता है, हिमाचल प्रदेश और पंजाब राज्यों में बहने वाली सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों में से एक है। इतिहास, किंवदंतियों और लोककथाओं के वर्षों के साथ, यह भारत के उत्तरी प्रांतों में सबसे लंबी नदियों में से एक है जो अपने पूरे पाठ्यक्रम और लंबाई में कुल 470 किमी तक बहती है।

मनाली में, नदी देवदार, देवदार और बर्च के निचले जंगलों के साथ-साथ हिमालय के घने, सदाबहार जंगलों से होकर गुजरती है। यह एक जल निकाय है जो पूरे वर्ष भर बहता है और कुल्लू और मनाली के निवासियों को पीने और उपयोगी पानी प्रदान करता है। यह दुनिया भर से पर्यटकों, साहसी और तीर्थयात्रियों को अपनी आकर्षक लहरों से आकर्षित करता है और राफ्टिंग के रोमांच सहित आपके सभी हिमालयी कारनामों के लिए एक आश्चर्यजनक पृष्ठभूमि प्रदान करता है।

ब्यास नदी में कितने बांध हैं?

ब्यास नदी में 2 बांध हैं: (1) Pandoh Dam (2) Pong Dam

निष्कर्ष

मित्रों इस लेख मैं हमने जाना की Pong Dam Kahan Hai, इसका निर्माण कब हुआ, इसका उदेश्य क्या है। हमें पूरा विश्वास है की आपको यह जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी।  इसे अपने मित्रों के साथ भी शेयर करें ता जो मेरा जो भी मित्र यहाँ पर घूमने के लिए आना चाहता है वह आसानी से पहुँच सके। धन्यवाद !

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