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Savan Somwar Shivji Vrat Katha

सावन सोमवार शिवजी व्रत कथा

shivji vrat katha

मित्रों श्रावण महीना भगवन शिवजी को बहुत प्रिय है। लगभग सभी इस श्रावण महीने के सोमवार की व्रत कथा के बारे में जानते ही होंगे। जैसे की आपको पता ही है की savan somwar shivji vrat katha सुनने मात्र से ही बड़े से बड़े विघ्न टल जाते है, मन को शांति मिलती है और सबसे बड़ी बात जो मान्यता है की श्रावण सोमवार का व्रत करने से और shivji vrat katha पढ़ने और सुनने से मनवांशित फल की प्राप्ति होती है।

Shivji vrat katha पूजा विधि

यह व्रत सोमवार प्रातः काल से शुरू हो जाता है। सुबह उठने के बाद आप सनान करें, फिर गंगा जल छिड़कर पूरे घर को शुद्ध करें। पूजा सामग्री में जल, दूध, शहद, दहीं, चीनी, मोली, जनेऊ, चन्दन, चावल, फूल, आक धतूरा, भांग की पत्तियां, बेल पत्र, शामिल करें। यह सब चढ़ाने के बाद धुप दिया जलाना चाहिए। फिर shivji vrat katha करें उसके बाद शिवजी की आरती करें।

सावन सोमवार शिवजी व्रत कथा

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Savan somwar व्रत करने से व्यक्ति के दुखों का नाश होता और सुख की प्राप्ति होती है। यह व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक किया जाता है। इस व्रत में सिर्फ एक बार ही भोजन किया जाता है। इस व्रत से व्रत से आयु लम्बी होती है, सुख समृद्धि मिलती है।

Savan Somwar Shivji Vrat Katha

एक समय की बात है, किसी नगर में एक shahukar रहता था। उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी, पर उसकी कोई संतान नहीं थी। इसी कारण वह बहुत दुखी रहता था। पुत्र प्राप्ति के लिए वह हर somwar व्रत रखता था  और लगन और श्रद्धा के साथ शिवजी के मंदिर जाकर भगवान Shiv और Parvati जी की पूजा करता था।

उसकी भक्ति देखकर एक दिन माँ Parvati प्रसन्न हो गयी और भगवान Shiv से उस shahukar की मनोकामना पूरी करने का आग्रह किया, Parvati जी की इच्छा सुनकर भगवान् Shankar जी ने कहा हे Parvati इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मो का फल मिलता है और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है, लेकिन Parvati जी ने shahukar की भक्ति का मान रखने के लिए उसकी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा जताई।

माता Parvati जी के बार बार आग्रह करने पर भगवान Shiv ने shahukar को पुत्र प्राप्ति का वरदान तो दिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा की उसके बालक की आयु केवल 12 वर्ष होगी, माता Parvati जी और भगवन Shivji की बातचीत को shahukar सुन रहा था, उसे संतान प्राप्ति की बात की न तो ख़ुशी थी और ना ही दुःख, वह पहले की भांति Shivji की पूजा करता रहा, कुछ समय के बाद shahukar के घर  पुत्र का  जन्म होता है, जब वह बालक 11 वर्ष का हुआ तो उसे पढ़ने के लिए काशी भेज दिया गया।

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Shahukar के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया और कहा की तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ और मार्ग में यज्ञ करते जाना। जहाँ पर भी यज्ञ कराओ वहाँ ब्राह्मणो को भोजन कराते और दक्षिणा देते हुए जाना, दोनों मामा और भांजा इसी तरह यज्ञ कराते और ब्राह्मणो को दान दक्षिणा देते काशी को और चल पड़े। रास्ते में एक नगर पड़ा जहाँ के राजा की लड़की का विवाह था, जिस राजकुमार के साथ उसका विवाह होने वाला था वह एक आँख से काना था।

श्री Ganesh Aarti | Stuti | Chalisa

राज कुमार के पिता ने अपने पुत्र के काना होने की बात को छुपाने के लिए एक चाल सोची, shahukar के पुत्र को देखकर उसके मन में एक विचार आया, उसने सोचा क्यों ना इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूँ, विवाह के बाद इसको धन देकर विदा क्र दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा।

उसने ऐसे ही किया, राजकुमार के पिता ने अपने दूल्हे के कपड़े साहूकार के बेटे को पहना दिए और उसका विवाह राजकुमारी के साथ करवा दिया, पर shahukar का पुत्र ईमानदार था, उसे यह बात अच्छी नहीं लगी, उसने अवसर पाकर राजकुमारी की चुनरी पर लिख दिया की तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के साथ तुमको भेजा जायेगा वह एक आँख से काना है, मैं तो कांशी पढ़ने जा रहा हु।

जब चुनरी पर लिखी हुयी बातें राजकुमारी ने पढ़ी तो उसने अपने माता पिता को यह बात बताई, राजा ने अपनी पुत्री को विदा नहीं किया। जिसके कारण बारात वापिस चली गयी। दूसरी साहूकार का लड़का और  उसका मामा कांशी पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने यज्ञ किया, जिस दिन लड़के की आयु 12 साल की हुयी उसी दिन यज्ञ रखा गया।

लड़के ने अपने मामा से कहा की मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है, मामा ने कहा की तुम अंदर जाकर सो जाओ, Shivji के वरदानुसार कुछ ही देर में उस बालक के प्राण निकल गए, मृत भांजे को देख उसके मामा ने विलाप शुरू किया, संयोगवश उसी समय Shivji और माता Parvati उधर से गुजर रहे थे, माता Parvati ने भगवान Shivji से कहा  स्वामी मुझे इसका रोना सहन नहीं हो रहा, आप इस व्यक्ति  के कष्ट को अवश्य दूर करें।

 शिवजी व्रत कथा

जब Shivji मृत बालक के पास गए तो वह बोले की यह उसी shahukar का बेटा है, जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु  का वरदान दिया था, अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है, लेकिन मातृ भाव से विभोर माता Parvati ने कहा की हे महादेव, आप इस बालक और आयु देने की कृपा करें, नहीं तो इसके वियोग  माता पिता भी तड़प तड़प कर मर जायेंगे, माता Parvati के बार बार कहने पर भगवन Shivji ने उस लड़के को जीवित कर दिया और लम्बी आयु का वरदान दिया।

फिर लड़का अपनी शिक्षा समाप्त करके अपने मामा  के साथ अपने नगर  चल दिया। दोनों वापसी में उसी नगर में पहुंचे जहाँ उसका विवाह हुआ था, उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया।  उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया और महल में ले जाकर उसकी खातिरदारी  पुत्री को उसके साथ ख़ुशी ख़ुशी विदा किया।

इधर shahukar और उसकी पत्नी भूखे प्यासे रहकर अपने बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे।  उन्होंने प्रण कर रखा था की यदि उन्होंने अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी प्राण त्याग देंगे।  पर अपने पुत्र के जीवित होने का समाचार पाकर वह बेहद खुश हुए।

उसी रात भगवान Shiv ने shahukar के सपने में आकर कहा हे वंस मेने तेरे Somwar के व्रत करने और व्रत कथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान  की है।  इसी प्रकार जो कोई Somwar shivji vrat katha करता है या कथा सुनता और पढता है उसके सभी दुःख दूर होते है और उसकी समस्त मनोकामनएं पूरी होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

मित्रों आज हमने savan somwar shivji vrat katha के बारे में पढ़ा और जाना की किस प्रकार savan somwar का व्रत करने से shivji vrat katha पढ़ने और सुनने मात्र से ही सभी दुःख दूर हो जाते है और मनवांशित फल की प्राप्ति होती।

हमें पूरा विश्वास है की आपको savan somwar shivji vrat katha पढ़ बहुत अच्छा लगा होगा। आपसे निवेदन है की इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। धन्यबाद!

 

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