Best श्री Ganesh Aarti | Stuti | Chalisa 2022

[Ganesh Aarti]

सर्वप्रथम श्री गणेश जी की आरती

Ganesh ji Aarti (गणेश जी की आरती )

Ganesh Aarti

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Ganesh Aarti

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

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Ganesh Aarti

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गणेश जी की स्तुति क्या है?

गणेश जी की स्तुति हिंदी धर्म में एक प्रमुख प्रकार की पूजा और आराधना है। यह एक मन्त्र, श्लोक या गीत के रूप में हो सकती है जिसमें भगवान गणेश की महिमा, गुणों और प्रार्थना की जाती है। यह स्तुति उनकी पूजा का एक महत्वपूर्ण तरीका है जिससे भक्त उनके कृपालु स्वरूप को समर्पित होते हैं।

क्यों करें गणेश जी की स्तुति?

गणेश जी की स्तुति करने के कई कारण हो सकते हैं। पहले, यह हमें उनके समर्पण, शक्ति, बुद्धि, और समृद्धि के प्रतीक माने जाने वाले हैं। स्तुति करने से हम उनके प्रति आदर और प्रेम का अभिव्यक्ति करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके साथ ही, गणेश जी की स्तुति हमें मन को शांत, स्थिर, और समर्पित बनाने में मदद करती है।

गणेश जी की स्तुति कैसे करें?

गणेश जी की स्तुति करने के कई तरीके हो सकते हैं। सामान्य स्थितियों में, आप मंदिर में, पूजा स्थल पर, या अपने घर में उनकी मूर्ति, प्रतिमा, या चित्र के सामने स्थापना करके स्तुति कर सकते हैं। समस्याओं के समय में, आप गणेश जी के मंत्रों का 21 माला, 108 माला, या 1008 माला का जाप कर सकते हैं।

Shri Ganesh Stuti श्री गणेश जी की स्तुति 

Ganesh Stuti

ॐ गजाननं भूतगणाधि सेवितमं

कपित्थजम्बू फल चारु भक्षणम ।

उमासुतं शोक विनाश कारकमं

नमामि विघनेश्वर पादापंकजम् ॥

हाथी के समान मुख वाले सम्पूर्ण प्राणियों एवं गणों के अधिपति सर्वश्रेष्ठ सम्पूर्ण देवताओं में आगे पूजे जाने वाले सम्पूर्ण गण जिनकी सेवा करते है कैथ और जामुन के फल को प्रेम से भक्षण करने वाले।  उमा सुतं माँ पार्वती के पुत्र सम्पूर्ण विघ्न एवं कष्ट शोक को नष्ट करने वाले।  समस्त देवताओं में सरव्श्रेष्ठ भगवन गज बदन की कमल के समान कोमल पैर की बन्दना करता हूँ।

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Ganesh Aarti

स्तुति

गाइये गणपति जगवंदन ।

शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

सिद्धि सदन गजवदन विनायक ।

कृपा सिंधु सुन्दर सब लायक़ ॥

 मोदक प्रिय मृद मंगल दाता ।

विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥

मांगत तुलसीदास कर ज़ोरे ।

बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥

 

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Ganesh Aarti

Ganesh Chalisa सर्वप्रथम श्री गणेश चालीसा

Ganesh Chalisa

॥ दोहा ॥

जय गणपति सदगुण सदन,

कविवर बदन कृपाल ।

बिघ्न हरण मंगल करण,

जय जय गिरिजालाल ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय गणपति गणराजू ।

मंगल भरण करण शुभ: काजू ॥

जै गजबदन सदन सुखदाता ।

विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।

तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥

राजत मणि मुक्तन उर माला ।

स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।

मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।

चरण पादुका मुनि मन राजित ॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।

गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।

मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।

अति शुचि पावन मंगलकारी ॥

एक समय गिरिराज कुमारी ।

पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।

तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।

बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।

मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।

बिना गर्भ धारण यहि काला ॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।

पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।

पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।

लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।

नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।

सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा ।

देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।

बालक, देखन चाहत नाहीं ॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।

उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो ॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।

का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।

शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।

बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।

सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।

शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।

काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो ।

प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।

प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।

पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥

चले षडानन, भरमि भुलाई ।

रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥

चरण मातु-पिता के धर लीन्हें ।

तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।

नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥

तुम्हारी महिमा बुद्धि बड़ाई ।

शेष सहसमुख सके न गाई ॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।

करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।

जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।

अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥

॥ दोहा ॥

श्री गणेश यह चालीसा,

पाठ करै कर ध्यान ।

नित नव मंगल गृह बसै,

लहे जगत सन्मान ॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,

ऋषि पंचमी दिनेश ।

पूरण चालीसा भयो,

मंगल मूर्ती गणेश ॥

गणपति जी की स्तुति के महत्वपूर्ण लाभ

गणेश जी की स्तुति करने से हमें कई लाभ होते हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • गणेश जी की स्तुति करने से हमारे मन में शांति, सकारात्मकता, और उत्साह का अनुभव होता है।
  • यह हमें उनके आशीर्वाद, समृद्धि, और सुख-शांति की प्राप्ति में मदद करता है।
  • गणेश जी की स्तुति करने से हमारी बुद्धि, संचालन क्षमता, और सोचने की क्षमता में सुधार होता है।

किस समय गणेश जी की स्तुति करना होता है?

गणेश जी की स्तुति को किसी भी समय किया जा सकता है। हालांकि, इसे सुबह उठकर, संध्या के समय, या पूजा-पाठ के समय करना अधिक उपयुक्त माना जाता है। सुबह उठकर गणेश जी की स्तुति करने से हमें पूरे दिन के लिए शांति, समृद्धि, और सकारात्मकता मिलती है। संध्या के समय गणेश जी की स्तुति करने से हमें दिनभर की थकान दूर होती है और हमें शांति मिलती है। पूजा-पाठ के समय गणेश जी की स्तुति करने से हमें उनके आशीर्वाद मिलते हैं और हमारी पूजा-पाठ की प्रभावशाली होती है।

कहाँ करें Ganesh ji ki aarti stuti?

गणेश जी की स्तुति को कहीं पर भी किया जा सकता है। हालांकि, इसे मंदिर, पूजा-कक्ष, या स्वयं अपने घर में करना अधिक उपयुक्त माना जाता है। अधिकतर लोग अपने घर में ही गणेश जी की स्तुति करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें समय और अन्य संबंधित समस्याओं से बचाया जाता है। आप अपने पूजा-कक्ष में भी स्थापित कर सकते हैं, जो आपके घर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।

क्या हमें हर मंगलवार को ही Shri Ganesh ji ki Stuti करना होता है?

नहीं, आप गणेश जी की स्तुति किसी भी समय कर सकते हैं। हालांकि, मंगलवार को इसे करने से अधिक शुभ माना जाता है। गणेश जी को मंगलवार का दिन विशेष रूप से पसंद होता है, इसलिए इस दिन उनकी स्तुति करने से आपको अधिक आशीर्वाद मिल सकता है। हालांकि, यदि आपके पास मंगलवार के अलावा कोई अन्य समय है जब आप स्तुति करना चाहते हैं, तो आपको बिलकुल करने में कोई प्रतिबंध नहीं है।

क्या हमें पूरे मंत्र को ही प्रोत्साहित करना होता है?

नहीं, आप गणेश जी की स्तुति के लिए पूरे मंत्र को प्रोत्साहित करने की जरूरत नहीं है। आपको स्तुति करते समय मंत्र के कुछ हिस्सों को भी चुन सकते हैं। यह आपकी प्राथमिकता पर निर्भर करेगा और आपके समय, साधनों, और सामग्री के अनुसार होगा। प्रमुख मंत्रों को प्रोत्साहित करने से पहले, आपको मंत्र का पूरा महत्व समझना चाहिए और मन, शरीर, और आत्मा के साथ पूर्णता के साथ प्रतिष्‍ठित करना चाहिए।

प्रिय मित्रों : इस लेख में आपने पढ़ा :

श्री गणेश की आरती (Ganesh Aarti)

श्री गणेश की स्तुति (Ganesh Stuti)

श्री गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa)

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